हमारे बारे में
परिचय
सवारी डिब्बा कारखाना, स्वतंत्र भारत की सबसे पुरानी उत्पादन इकाइयों में एक है। इसका उद्घाटन 2 अक्तूबर 1955 को भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था। इस कारखाने के फर्निशिंग डिवीजन का उद्घाटन 2 अक्तूबर 1962 को किया गया और उसके बाद पूर्णत: सुसज्जित कोचों का उत्पादन धीरे-धीरे बढ़ने लगा। यह कारखाना 511 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें लगभग 10,000 कर्मचारी काम करते हैं। यहाँ प्रतिवर्ष 3,000 से भी अधिक कोचों का उत्पादन किया जाता है, जिनमें एलएचबी और अन्य अभिकल्पों के परम्परागत कोचों के अलावा सेल्फ प्रोपल्ड कोच भी शामिल हैं।
उत्पादन
सवारी डिब्बा कारखाना एक साथ विभिन्न अभिकल्पों और प्रकारों के कोचों का उत्पादन करने में सक्षम है। हर वर्ष उत्पादन-सूची में नए-नए प्रकार के कोच जुड़ते जाते हैं। सवारी डिब्बा कारखाना ने सेल्फ-प्रोपल्ड कोच जैसे अनेक विशेष प्रकार के कोचों का भी विकास और उत्पादन किया है। सवारी डिब्बा कारखाना, स्थापना से अब तक 500 से भी अधिक प्रकार के लगभग 65,000 कोचों का उत्पादन कर चुका है।
हाल की उपलब्धियाँ
सवारी डिब्बा कारखाना को सेल्फ प्रोपल्ड और गैर-सेल्फ प्रोपल्ड वातानुकूलित व गैर-वातानुकूलित रेल यात्री कोच, जिनमें शाही कोच संबंधी उत्पाद व उपसाधन भी शामिल हैं, के अभिकल्प व विकास और विनिर्माण संबंधी कार्यकलापों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए आई.आर.आई.एस. प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया है।
निर्यात
सवारी डिब्बा कारखाना विभिन्न देशों जैसे थाईलैंड, बर्मा, ताईवान, जाम्बिया, फिलीपिंस, तंज़ानिया, यूगाण्डा, वियतनाम, नाइजीरिया, बांग्लादेश, मोजाम्बिक, मलेशिया, अंगोला और श्रीलंका को अब तक 800 से भी अधिक कोचों का निर्यात कर चुका है। सवारी डिब्बा कारखाना नेपाल को निर्यात करने के लिए 1600 एचपी डीईएमयू के दो रैकों का विनिर्माण पूरा करने वाला है, जिसे जयनगर और कुर्था (37 किमी) के बीच प्रचालित किया जाएगा। सवारी डिब्बा कारखाना को और दो डी.ई.एम.यू. रेकों और 160 मेनलाइन कोचों का निर्यात श्रीलंका को करने का आदेश भी मिला है।
सडिका – हरित निर्माता
सवारी डिब्बा कारखाना पर्यावरण संरक्षण के लिए भी जाना जाता है। सवारी डिब्बा कारखाना पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अनेक कदम उठाता रहता है, जैसे सडिका के आस-पास के क्षेत्र में हरे-भरे बाग-बगीचों का निर्माण, बिजली के उत्पादन के लिए पवन चक्कियों और सोलॉर पैनलों की स्थापना आदि। सवारी डिब्बा कारखाना ‘जीरो डिस्चार्ज फैक्टरी’ और ‘ग्रीन वर्कशाप’ भी है। सवारी डिब्बा कारखाना ने अपने परिसर में ग्रीन-हाउसों की स्थापना की है, जहाँ बालवृक्ष और पौधों की देखभाल की जाती है। इस कारखाने के परिसर में ‘पाली हाऊस’ भी है, जहाँ पौधों और वृक्षों के लिए आवश्यक बीज बोने का काम चलता है। सवारी डिब्बा कारखाना, भारतीय रेल का एकमात्र संगठन बन चुका है जिसने पूर्णत: न्यूट्रालाइज्ड ग्रीन हाउस गैस एमिशन सिस्टम और कार्बन नेगटिव स्टेटस की उपलब्धि हासिल की है।
‘टीम सडिका’ के मील के पत्थर
सवारी डिब्बा कारखाना के 65 गौरवपूर्ण वर्ष हो चुके हैं। सवारी डिब्बा कारखाना ने 65,000 से अधिक कोचों का उत्पादन किया है जो विश्व के किसी भी रेल कोच विनिर्माता के उत्पादन की तुलना में सर्वाधिक है। आज सवारी डिब्बा कारखाना परंपरागत एलएसबी कोचों के अलावा ईएमयू, एमईएमयू, स्पर्ट, ओएचई टावर कार, स्पिक और डेमू जैसे सेल्फ प्रोपेल्ड कोचों के उत्पादन में भी देश की अग्रणी उत्पादन इकाई है।
विरासत गैलरी
शेल प्रशासनिक कार्यालय के प्रधान प्रवेश-द्वार के पास नवीकृत फोयर व हेरिटेज गैलरी है, जिसमें सडिका के गौरवपूर्ण इतिहास व विरासत को दर्शाने वाले दुलर्भ चित्र प्रदर्शित हैं। इसके बगल में, इस संगठन के लगभग 10,000 से अधिक सेवारत और सेवानिवृत कर्मचारियों के फोटो एक पेड़ के पत्तों के रूप में अलंकृत हैं। इसके अलावा, राष्ट्र तथा सवारी डिब्बा कारखाना के स्तर पर रेलवे सप्ताह पुरस्कार प्राप्त विजेताओं और वर्ष के दौरान खेलकूद के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धि हासिल करने वाले खिलाडि़यों के फोटो भी गैलरी में प्रदर्शित हैं।
परियोजनाओं के विहंगावलोकन
वर्ष 1955 में सवारी डिब्बा कारखाना की स्थापना देशी ऑल स्टील ऑल वेल्डड रेलवे शेलों के उत्पादन हेतु प्रारंभ किया गया। इस कारखाने की संस्थापित क्षमता 350 शेल प्रति वर्ष थी। सवारी डिब्बा कारखाना आंतरिक संरचना में समय-समय पर सुधार करके कोच-उत्पादन की संख्या को बढ़ाता रहा। वर्ष 1990 में 1000 कोचों का उत्पादन करने वाला सवारी डिब्बा कारखाना ने वर्ष 2018-19 में 3000 से अधिक कोचों का उत्पादन कर अद्भुत चमत्कार कर दिखाया।
आगे से सारे कोचों को स्टेनलेस स्टील बाडी के बनाए जाने की भारतीय रेलवे की नीति के अनुसरण में सवारी डिब्बा कारखाना अपनी आंतरिक सरंचना को अत्याधुनिक बनाने के कार्य में लगा हुआ है। इस यूनिट में उत्तम गुणवत्ता के स्टेनलेस स्टील बाडी कोच के विनिर्माण हेतु अत्याधुनिक आंतरिक संरचना जैसे रोबोटिक स्पॉट वेल्डिंग सेंटर, रोबोटिक एमआईजी वेल्डिंग सेंटर, 5-एक्सिस मशीनिंग सेंटर, लेसर कटिंग एवं वेल्डिंग मशीन, अन्य सीएनसी मशीनें, जिग एवं फिक्चर हैं।
ट्रेन 18
वर्ष 2018-19 में सवारी डिब्बा कारखाना द्वारा भारत का प्रथम सेमी हाई स्पीड ट्रेन सेट ट्रेन -18’ (वंदे भारत एक्सप्रेस) का उत्पादन किया गया, जिसे नई दिल्ली और वाराणसी के बीच चलाने के लिए भारत के माननीय प्रधान मंत्री जी ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। सवारी डिब्बा कारखाना द्वारा वंदे भारत एक्सप्रेस के दूसरे रेक का भी उत्पादन मई 2019 में किया जा चुका है। “मेक इन इंडिया” परियोजना के अंतर्गत सवारी डिब्बा कारखाना द्वारा विनिर्मित इस 16 कोच वाले रेक में लगाए गए उत्पादों में 80 प्रतिशत से अधिक उत्पाद पूर्णत: घरेलू उत्पाद हैं। यह गाड़ी 160 किमी प्र/घंटा की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम है। इस ट्रेन सेट में बहुत सारी नई-नई सुविधाएँ दी गई हैं, जैसे स्वचालित स्लाइडिंग डोर, स्वचालित स्लाडिंग फुटस्टेप, कोचों में स्वचालित वातावरण नियंत्रण आदि। बिजली संबंधी सारे उपकरण ट्रेन के अंडरस्लंग में लगाए जाने के कारण संपूर्ण ऑन-बोर्ड स्थान यात्रियों के लिए उपलब्ध कराया गया। पहला प्रोटोटाइप ट्रेन-18 का उत्पादन 18 महीने के रिकार्ड समय में किया गया।
सडिका महिला शक्ति
सवारी डिब्बा कारखाना परिसर में महिला शक्ति की 9 टीमें हैं, जिनमें कुल 130 महिलाएं हैं। विश्व के अग्रणी एवं सबसे बडे रेल कोच निर्माता के रूप में माने जाने वाले सवारी डिब्बा कारखाना की महिला शक्ति टीम ऐसे कठिन कार्यों को कर रही हैं जिनके बारे में यह समझा जाता था कि इन्हें केवल पुरुष ही कर सकते हैं। वेल्डिंग, फिटिंग, हार्नेसिंग, आर्क वेल्डिंग, मोटरों की पेंटिग और सिंगल फेज़ मोटर वाइन्डिंग जैसे कठिन कार्यों को इस टीम की महिलाएँ संभाल रही हैं। इस टीम की वेल्डर और फिटर, एसी ईएमयू के अंडरफ्रेम के लिए डोरवे स्टीफनेर के विनिर्माण, डीईटीसी और कोलकता मेट्रो की छत के लिए कॉन्ट्राइल, ईएमयू और वातानुकूलित यात्री कोच (सामान्य) के अंडरफ्रेम के लिए क्रास बियरर के अलावा एलजीएस माडुलर फ्रेम की असेंबली और वेल्डिंग के कार्य भी करती हैं। डिपो सामग्री अधीक्षकों और सहायकों से बनी डिपो शेल/फर्निशिंग वार्ड की महिला शक्ति टीम शाप फ्लोर को सामग्री जारी करना, डीजल भरना, प्राप्ति शाखा से सामग्री प्राप्त करना, सामग्रियों को पहुँचाना, ऑटोमेटिक स्टोरेज रिट्रिवल सिस्टम संभालना, शाप फ्लोरों को कच्ची सामग्रियों की पूर्ति करना आदि काम संभालती है।
खेल-कूद
खेल-कूद के क्षेत्र में भी सवारी डिब्बा कारखाना की टीम का प्रदर्शन बढि़या रहा है। सवारी डिब्बा कारखाना की टीम ने 65वें अखिल भारतीय अंतर-रेलवे पुरुष वॉलीबॉल चैम्पियनशिप जीतकर इसे लगातार छठी बार जीतने का कीर्तिमान स्थापित किया। सवारी डिब्बा कारखाना ने थाईलैंड में संपन्न 53वें एशियाई बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में 2 स्वर्ण पदक (75 किग्रा वर्ग और 70 किग्रा वर्ग में ) और 1 कांस्य पदक (75 किग्रा वर्ग में) जीता है। सडिका ने कपूरथला में आयोजित अखिल भारतीय रेलवे बास्केटबॉल चैम्पियनशिप को भी 17 साल के अंतराल के बाद जीता। सवारी डिब्बा कारखाना के बॉडी बिल्डर श्री ए. भास्करन को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जिससे सवारी डिब्बा कारखाना के मुकुट में एक और रत्न जुड़ गया है।
******************