भुगतान की व्यवस्था करते समय प्रशासन को आपूर्तिकर्ताओं के बिलों में कई विसंगतियाँ देखी जाती हैं। ऐसी स्थिति में प्रशासन को उन बिलों को लौटाना होता है। बिलों को लौटाने और उनकी पुनः प्रस्तुती में अधिक समय लग जाता है। इसलिए आपूर्तिकारों से निवेदन है कि बिलों को प्रस्तुत करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें –
बिल स.डि.का के मानक रूप में होने चाहिए
बिल में और क्रय आदेश में दिए गए पते दोनों समान होना चाहिए।
बिलों में हस्ताक्षर, फर्म के प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा किए जाने चाहिए।
बिलों में किए गए सभी सुधारों पर आपूर्तिकर्ताओं/प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा हस्ताक्षरित एवं सत्यापित होना चाहिए। क्रय आदेश की शर्तों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन होने पर, उस उद्देश्य हेतु भंडार विभाग द्वारा जारी संशोधित शर्तों और उस संबंध में विधिवत् जारी की गई संशोधन की प्रति भी संलग्न की जानी चाहिए।
डिपो भंडार अधिकारी द्वारा जारी प्राप्ति रसीद (मूल प्रति) की दूसरी फॉइल को बिल के साथ संलग्न करना चाहिए।
बयाना राशि के दावे के लिए ‘आदेश की मूल प्रति’ बीजक को सत्यापन के लिए प्रस्तुत किया जाना चाहिए। राइट्स, आरडीएसओ या सीआईओ/सडिका जैसी एजेन्सियों से प्राप्त किए गए निरीक्षण प्रमाण-पत्र की मूल प्रति को संलग्न करना चाहिए।
गारंटी प्रमाण पत्र को खरीद आदेश की शर्तों के अनुसार विधिवत् रूप से संलग्न किया जाना चाहिए। केवल स्वीकृत की गई मात्रा के लिए ही बिल प्रस्तुत किया जाना चाहिए। डिपो भंडार अधिकारी द्वारा दिए गए अस्वीकृत मेमो की जाँच करके यह सुनिश्चित किया जाना है कि बिल में अस्वीकृत समाग्रियों के भुगतान का दावा नहीं किया गया है।
यदि क्रय आदेश में निर्धारित किया गया हो तो सभी समाग्रियों का ब्रेक-अप, मूल्य सहित प्रस्तुत किया जाना चाहिए। मूल्य भिन्नता के दावों को दस्तावेजी प्रमाण द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए जैसे कि प्रासंगिक मूल्य सूची और पीवीसी गणना स्पष्ट रूप से दी जानी चाहिए।
सुपुर्दगी अवधि के बाद प्रस्तुत आपूर्ति बिलों को, आपूर्ति में देरी के लिए डिपो अधिकारी द्वारा लिखित कंडोनेशन के साथ या भंडार विभाग के संशोधन के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए, अगर सुपुर्दगी की अवधि बढ़ाई गई है।
स्टैगर्ड सुपुर्दगी शेड्यूल के मामले में, प्रत्येक किस्त के हिसाब में निर्धारित सुपुर्दगी की तारीख का पालन किया जाना चाहिए और डिलीवरी अवधि के किसी भी देरी/बढ़ाने के मामले में प्रत्येक सुपुर्दगी के लिए उपर्युक्त दस्तावेजों को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
क्रय आदेश की शर्त के खंड ‘ए’ के संदर्भ में एक्साइज ड्यूटी प्रमाण-पत्र संलग्न किया जाना है।
क्रय आदेश की शर्त के खंड ‘बी’ के अनुसार मोडवेट प्रमाण-पत्र संलग्न किया जाना चाहिए।
क्रय आदेश के अनुदेश सं.7 (तमिलनाडु राज्य के बाहर स्थित फर्मों के लिए लागू) के संदर्भ में बिक्री कर प्रमाण-पत्र संलग्न किया जाना चाहिए।
यदि क्रय आदेश के अनुसार वैट लागू हो तो वैट प्रमाण-पत्र संलग्न किया जाना चाहिए ।
आपूर्ति करते समय सुपुर्दगी शर्त "फ्री डेलिवरी एट आईसीएफ" के लिए मूल दर में शामिल किए गए माल-भाड़े की जानकारी स्पष्ट रूप से बता देना चाहिए। चूंकि माल-भाड़ा शुल्क पर उत्पाद शुल्क और बिक्री कर की अनुमति नहीं है, इसकी घोषणा आपूर्तिकर्ताओं की ओर से आवश्यक हो जानी है। ऐसा न करने पर उत्पाद शुल्क पर 10% और बिक्री कर पर 2% की कटौती की जाएगी।
माल ढुलाई शुल्क और बीमा शुल्क के दस्तावेजी प्रमाण संलग्न किए जाने चाहिए। अग्रिम भुगतान के मामलें में, क्रय आदेश के खंड “डी” में उल्लिखित भुगतान की शर्तों का पालन किया जाना चाहिए और आवश्यक संलग्नकों को बिल के साथ प्रस्तुत करना चाहिए।
जब किसी बैंक के पक्ष में मुख्तारनामा दिया जाता है तब फर्म को सुनिश्चित करना होगा कि बिल पर बैंक की मोहर लगी हो या बिल के साथ प्राप्ति रसीद की मूल प्रति संलग्न की जानी चाहिए ।